Jeevan Questions & Answers जीवन प्रश्न और उत्तर

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यह कविता नरेंद्र शर्मा द्वारा लिखित है। पिछले पोस्टों में मैंने Ibrahim Gardi और Koshish Karne Walon Ki Kabhi Haar Nahi Hoti के Questions & Answers शेयर किए हैं तो आप उसे भी चेक कर सकते हैं।

Jeevan Questions & Answers जीवन प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: मन हमेशा रीता क्यों रहता है?

उत्तर: हम अपने जीवन में जब कम देकर अधिक की इच्छा करते हैं, तो हमारा मन हमेशा रीता रहता है।

प्रश्न 2: धरा हमें क्या देती है?

उत्तर: धरा हमें आधार देती है।

प्रश्न 3: हर जीनेवाला कब तक जीता है?

उत्तर: मरने तक हर जीनेवाला तक जीता है।

प्रश्न 4: सही विकल्प चुनिए:

(क) मेघ क्यों सर्जित होते हैं?

उत्तर: बरसने के लिए 

(ख) सरिता का पानी कौन नहीं पीता?

उत्तर: स्वयं नदी 

प्रश्न 5: पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

देती रहती………………….दहता है।

(क) हमें आधार कौन देती है?

उत्तर: धरा हमें आधार देती है।

(ख) रत्नाकर किसे कहते हैं और क्यों?

उत्तर: समुद्र को रत्नाकर कहा जाता है क्योंकि समुद्र अपने अंदर अनेक बहुमूल्य रत्नों (मोती, पन्ना, खनिज, पेट्रोल आदि) को धारण करता है।

(ग)अंग-अंग दहता हैका भाव लिखिए?

उत्तर: समुद्र अपना अंग-अंग (खारा जल) सूर्य की किरणों से तृप्त करके बादलों का निर्माण करता है।

प्रश्न 6: कवि ने किस आदत को बुरा कहा है?

उत्तर: कवि ने काम देकर ज़्यादा पाने की आदत को बुरा कहा है।

प्रश्न 7: ‘अपने गीत गानासे आप क्या समझते हैं?

उत्तर: अपने गीत गाने से आशय है अपनी प्रशंसा स्वयं करना।

प्रश्न 8: मेघ कहाँ-कहाँ विसर्जित होते हैं?

उत्तर: मेघ पृथ्वी के हर अंश और प्रत्येक कण पर विसर्जित होते हैं।

प्रश्न 9: किस-किस के ऋण को हम चुका नहीं सकते? क्यों?

उत्तर: हम धरती, बादल, नदी, समुद्र, पर्वत और वृक्ष का ऋण नहीं चुका सकते क्योंकि वृक्षों से हमें रसीले फल मिलते हैं; हिमालय से सुरक्षा और नदियों से जल मिलता है; मेघ बरसकर धरती की प्यास बुझाते हैं। धरती हमें आधार देती है और सागर अपने तन को तपाकर बादलों के रूप में बरसकर हमें जीवन देता है। प्रकृति पर ही मनुष्य जीवन आश्रित है इसलिए हम इसके ऋणी हैं।

प्रश्न 10: बर्फीले पहाड़ों से हमें क्या मिलता है और कैसे?

उत्तर: बर्फीले पहाड़ों से हमें पीने के लिए मीठा जल मिलता है। पहाड़ों पर जमी बर्फ और ग्लेशियर सूर्य की गरमी से पिघलते हैं। पिघलने पर इनका जल झीलों, नदियों, झरनों के रूप में हमारी प्यास बुझाता है।

प्रश्न 11: कवि ने किसका जीवन सार्थक माना है?

उत्तर: जिनका जीवन परोपकार में लगा हुआ है, जो दूसरों से लेने के साथ-साथ लौटाना भी जानते हैं और जिनमें संतोष की भावना है; कवि  जीवन को सार्थक माना है।

प्रश्न 12: इस कविता से हमने  क्या सीखा?

उत्तर: इस कविता से हमने यह सीखा कि प्रकृति से सीख लेकर हमें भी अपना जीवन परोपकार करते हुए बिताना चाहिए। समाज या प्रकृति से लेने को ही नहीं वरन देने की भी भावना होनी चाहिए तथा जो मिले उसमें संतुष्ट रहना चाहिए।

प्रश्न 13: भाव स्पष्ट कीजिए:

(क) हेम हिमावत कब अपने हित हिम-आपत सेहत है!

उत्तर: सोना और हिमालय अपने हित के लिए नहीं बल्कि सभी प्राणियों के जीवन की रक्षा के लिए अपने तन को तपाते हैं। सोना अग्नि में तपकर चमक देता है और हिमालय सूर्य की गरमी में तपकर धरती को जल और सुरक्षा देता है।

(ख) सर्जित होते मेघ, विसर्जित कण-कण पर हो जाने;

उत्तर: मेघों की रचना धरती के कण-कण को जीवन देने के लिए हुई है अर्थात मेघ अपने जीवन को धरती के कण-कण पर विसर्जित कर देते हैं।

तो ये थे प्रश्न और उत्तर।

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